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ज्येष्ठ माह में क्या है जल का महत्व ?

ज्येष्ठ मास जिसे जेठ का महीना भी कहा जाता है, हिन्दू वर्ष का तीसरा महीना है और इस महीने में सूर्य देव अपने पूरे रौद्र रूप में होते हैं यानी इस महीने में गर्मी अपने चरमबिन्दु पर होती है। गर्मी यूँ तो फागुन माह यानी मार्च की विदाई के साथ ही शुरू होकर चैत्र और वैशाख में अपने रंग बिखेरती है लेकिन ज्येष्ठ में चरम पर आ जाती है।

गर्मी अधिक होने के कारण अन्य महीनों की अपेक्षा इस माह में जल का वाष्पीकरण भी अधिक होता है और बहुत सी छोटी नदियां, तालाब आदि सूख जाते हैं। अत: इस महीने में जल का महत्व दूसरे महीनों की तुलना में अधिक बढ़ जाता है, यही कारण है कि इस माह में आने वाले कुछ खास त्योहार हमें जल बचाने का संदेश भी देते हैं।जैसे- ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर आने वाला गंगा दशहरा पर्व व निर्जला एकादशी।

इन त्योहारों के माध्यम से हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें संदेश दिया है कि जीवनदायिनी गंगा को पूजें और जल की कीमत को पहचानें।
हिन्दू धर्म में निर्जला एकादशी का व्रत तपती गर्मी यानी जेष्ठ माह में ही रखा जाता है, इस संदेश के साथ कि जल बचाना है तो वर्ष में कम से कम एक दिन ऐसा उपवास करें, ऐसा व्रत रखें कि बगैर जल ग्रहण किए ईश्वर की आराधना की जा सके। व्रत के साथ ही लोग निर्जला एकादशी के दिन पानी या शर्बत का भी वितरण करते हैं। इस प्रकार ज्येष्ठ मास से हमें जल का महत्व व उपयोगिता सीखनी चाहिए।