धर्म नगरी संगम कहिए या इलाहाबाद..या आज का प्रयागराज। इस अद्भुत और धर्मिक शहर को आप किसी भी नाम से बुलाइये..इसका प्रभाव उतना ही रहता है।देश के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है प्रयागराज। जहां गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य रूप से) जैसी पवित्र नदियों का मिलन होता है और उसे हम आप ‘त्रिवेणी संगम’ के नाम से जानते हैं। धार्मिक मान्यता है कि संगम में स्नान करना ‘मोक्ष’ प्राप्ति के बराबर होता है। हर साल त्रिवेणी संगम पर करोड़ों श्रद्धालु स्नान और पूजन के लिए आते हैं।
लेकिन रुकिए..संगम स्नान करके सीधे वापस लौट जा रहे है तो यकीन मानिए आप प्रयागराज यानी इलाहाबाद की आत्मा के एक महत्वपूर्ण हिस्से से आत्मसात होने से चूक रहे हैं..और वो आत्मा है इलाहाबाद की ‘लोकनाथ गली’ जहां मिलता है पारंपरिक और स्ट्रीट का फूड का अद्भुत और स्वादिष्ट संगम..
स्वाद और परंपरा के अद्भुत मिश्रण का संगम है लोकनाथ गली:
इलाहाबाद यानी प्रयागराज की पुरानी और जीवंत गलियों में से एक है..लोकनाथ गली। गली में पारंपरिक भारतीय बाज़ार, पुरानी संकरी गलियां, सालों पुरानी दुकानें, मसालों की खुशबू और व्यंजनों की महक लोकनाथ गली की पहचान है। लोकनाथ गली केवल खाने पीने के लिए ही नहीं बल्कि अपनी विरासत और संस्कृति को जिंदा रखने की वजह से भी पहचानी जाती है।
लोकनाथ गली में हर इलाहाबादी ही नहीं बल्कि यहां आने वालों की पहली पसन्द है ये:
लोकनाथ गली में गरमा गरम कचौरी-सब्जी का स्वाद ऐसा है कि जिसने भी एक बार चख लिया, वो इस गली में आये और कचौरी सब्जी न खाये, ऐसा हो ही नहीं सकता। खस्ता कचौरी की दुकानों पर सुबह ही लंबी कतारें लग जाती हैं। खस्ता कचौरी के साथ आलू की तीखी मसालेदार सब्ज़ी और साथ में हरी मिर्च या चटनी मिलकर एक ऐसा स्वाद बनाते हैं की खाने वाला बार-बार खिंचा चला आता है।
कुरकुरी जलेबी और कचौरी का अद्भुत संगम:
यहां की खस्ता कचौरी के साथ कुरकुरी जलेबी न हो तो अधूरापन लगता है। ताज़ा बनी गर्म कुरकुरी जलेबियाँ जब मुँह में जाती हैं, तो उनकी मिठास और कुरकुरापन मुग्ध कर देता है। कचौरी के साथ जलेबी खाना यहाँ की परंपरा है। कहते हैं कि यह जलेबी सिर्फ मिठाई नहीं, एक अनुभव है।
कुल्हड़ वाली लोकनाथ की लस्सी:
लोकनाथ गली में राजा राम लस्सी वाले की मिट्टी के कुल्हड़ में दी जाने वाली ठंडी लस्सी पर जब मलाई के साथ केसर डाला जाता है, तो वह हर लस्सी प्रेमी के दिल में जगह बना लेती है।
बंगाली मिठाइयों की मिठास:
लोकनाथ गली बंगाली मिठाई की कई पुराने दुकानें हैं। जहां पर पारंपरिक बंगाली मिठाइयों में रसगुल्ला और चमचम बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हैं। इन्हें तैयार करने में स्थानीय दूध के का उपयोग होता है, जिससे इन मिठाइयों स्वाद बेहद ताज़ा और असली लगता है।
बुन्देलखण्ड का तड़का:
यहां कई पारंपरिक दुकानों में भुजिया, सेव और नमकीन भी मिलती है , जिसे आप वापसी के दौरान घर ले जा सकते हैं। स्थानीय मसालों से बनी इन नमकीन का स्वाद बेहद लाजवाब होता है।
लोकनाथ गली जा रहे हैं तो किस बात का रखें ध्यान:
लोकनाथ गली में सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक नाश्ते के लिए सबसे अच्छा समय रहता है। मिठाइयों और लस्सी का स्वाद लेना है तो शाम 5 बजे के बाद का समय सबसे बेहतर होगा।
लेकिन ध्यान रखें कि सप्ताह के अंतिम दिन या छुट्टी या फिर त्यौहार के समय यहां भीड़ बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, इसलिए समय का चुनाव करते समय सावधानी बरतें।