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सावधान ! खतरे में है आपका बच्चा

मोबाईल और इंटरनेट की सुविधा ने जिंदगी के तमाम काम आसान कर दिए हैं..ये इंटरनेट और मोबाइल आज हर घर की ही नहीं बल्कि हर व्यक्ति की सबसे जरूरी जरूरत बन चुके हैं..मोबाइल से जहां एक तरफ आपके तमाम काम हो रहे हैं वही इंटरनेट के साथ मिलकर मोबाइल मनोरंजन का एक शानदार साधन भी बन चुका है..लेकिन सावधान..!


ये मोबाइल और इंटरनेट आपके लिए जितना फायदेमंद है, आपके बच्चों के लिए उतना ही घातक और जानलेवा भीबसाबित हो सकता है..

अमूमन बच्चों को लोग कई बार अपनी सुविधानुसार मोबाइल दे देते हैं तो कई बार माएँ घर का काम करते वक्त बच्चे को बिजी रखने के लिए मोबाइल पकड़ा देती हैं और इस चक्कर में बच्चों को धीरे धीरे मोबाइल की बुरी लत लग जाती है और ये कहानी किसी एक घर या परिवार की नहीं बल्कि लगभग हर उस घर की बन चुकी है जहां छोटे छोटे बच्चे हैं। मोबाईल फोन की लत आपके बच्चों के लिए कितनी खतरनाक है..इसका खुलासा JLNMCH ने अपनी एक रिपोर्ट में किया, जो उन सभी पैरेंट्स के लिए परेशानी का सबब है जो अपने बच्चों को मोबाईल पकड़ा देते हैं। मोबाईल फोन की ये लत मासूम बच्चों का बचपन छीन कर उनके मानसिक विकास को प्रभावित करने के साथ ही उनके व्यक्तित्व के विकास पर भी गहरा और नकारात्मक असर डाल रही है।

शायद आपको अजीब लगे लेकिन स्थिति ये है कि अब बच्चों को खाना खाते समय माँ का हाथ नहीं बल्कि मोबाईल में रिल्स या कार्टून देखना ज्यादा भा रहा है। बच्चे माँ के साथ लाड़ प्यार से ज्यादा कार्टून पसंद कर रहे हैं।

स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से आपके बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं..अगर चौकानें वाले एक आंकड़े की मानें तो 12 से 18 महीने की उम्र के बच्चों में भी स्मार्टफोन के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी देखी गई है। बच्चे मोबाईल स्क्रीन को आंखों के बहुत ले आते हैं, जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है..


दूसरी तरफ मनोविशेषज्ञों के पास आ रहे केसों में तमाम केस ऐसे भी आ रहे हैं जिनमें बच्चे अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं, जिसके कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है। इसके साथ ही गेम बहुत ज्यादा खेलने वाले बच्चों के व्यवहार में सामान्य बच्चों की अपेक्षा अधिक आक्रामकता देखी जा रही है, बात बात पर चिड़चिड़ापन, जल्दी गुस्सा हो जाना, मोबाईल न मिलने पर गुमशुम रहना जैसी आदतों में इजाफा बच्चों के मानसिक ही नहीं बल्कि सामाजिक विकास में भी खतरा बन सकता है।
माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें, नहीं तो बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है और फिर वो उसी से जिद करते हैं..

कैसे बचाएं बच्चों को मोबाईल के खतरे से..

•मोबाईल पाने के लिए बच्चे कई बार इमोशनल ड्रामा करते हैं, बच्चों का इमोशनल ड्रामा सहन न करें।

•हर बार मोबाईल मांगने पर न दें। एक दिन ‘न’ और दूसरे दिन ‘हां’ न कहें। बच्चा रोने लगे तो ध्यान न दें। कोशिश करें कि बाद में प्यार से समझाएं।

•बच्चे के साथ माता पिता, साथ में क्वालिटी टाइम जरूर बितायें।

•मोबाईल के लिए एक समय निर्धारित करें साथ ही इंटरनेट पर मौजूद ज्ञानवर्धक चीजों को बच्चे के साथ देखें।